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जुनून-ए-बे-ख़ुदी के साज़-ओ-सामाँ देखने वाले - नख़्शब जार्चवि कविता - Darsaal

जुनून-ए-बे-ख़ुदी के साज़-ओ-सामाँ देखने वाले

जुनून-ए-बे-ख़ुदी के साज़-ओ-सामाँ देखने वाले

बड़ी हैरत में हैं मेरा गरेबाँ देखने वाले

तुम्हारी ज़ुल्फ़ की उलझन में फँस कर नींद खो बैठे

कभी सोते नहीं ख़्वाब-ए-परेशाँ देखने वाले

अभी भड़केगा सोज़-ए-ग़म अभी ये ज़ख़्म कूदेंगे

ज़रा ठहरें मिरे दिल का चराग़ाँ देखने वाले

मिरी ठहरी हुई दुनिया में हलचल सी मचा डाली

दबे-पाँव चलें गोर-ए-ग़रीबाँ देखने वाले

कहीं सोती हुई दुनिया न पाएमाल हो जाए

ज़रा आहिस्ता ऐ गोर-ए-ग़रीबाँ देखने वाले

उठाएँगे न ऐ 'नख़शब' कभी नज़रें सू-ए-जन्नत

तसव्वुर में बहार-ए-कू-ए-जानाँ देखने वाले

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In Hindi By Famous Poet Nakhshab Jaarchawi. is written by Nakhshab Jaarchawi. Complete Poem in Hindi by Nakhshab Jaarchawi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.