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ले लूँगा जान दे के मोहब्बत जहाँ मिले - नज्म आफ़न्दी कविता - Darsaal

ले लूँगा जान दे के मोहब्बत जहाँ मिले

ले लूँगा जान दे के मोहब्बत जहाँ मिले

कुछ दिन में शायद और ये सौदा गराँ मिले

ऐ कारवान-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा के मुसाफ़िरो

कहना मिरा सलाम भी मंज़िल जहाँ मिले

हमवार कर मिज़ाज बहार-ओ-ख़िज़ाँ से दिल

मुमकिन नहीं मिज़ाज-ए-बहार-ओ-ख़िज़ाँ मिले

ये मंज़िलत भी हिस्सा-ए-दुश्मन में आए क्यूँ

हम सर न फोड़ लें जो तिरा आस्ताँ मिले

पहले ही से दिलों के न मिलने का ढंग था

जिस मोड़ पर मिले हैं वो दामन-कशाँ मिले

मैं ने किया है एक ही उन्वान से ख़िताब

किस किस के रूप में न मिरे मेहरबाँ मिले

क्यूँ जाए 'नज्म' ऐसी फ़ज़ा छोड़ कर कहीं

रहने को जिस के गुलशन-ए-हिन्दोस्ताँ मिले

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In Hindi By Famous Poet Najm Aafandi. is written by Najm Aafandi. Complete Poem in Hindi by Najm Aafandi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.