Ghazals of Naji Shakir
नाम | नाजी शाकिर |
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अंग्रेज़ी नाम | Naji Shakir |
जन्म की तारीख | 1690 |
मौत की तिथि | 1744 |
जन्म स्थान | Delhi |
ज़िक्र हर सुब्ह ओ शाम है तेरा
ये दौर गुज़रा कभी न देखीं पिया की अँखियाँ ख़ुमार-मतियाँ
तेरे भाई को चाहा अब तेरी करता हूँ पा-बोसी
मह-रुख़ाँ की जो मेहरबानी है
लब-ए-शीरीं है मिस्री यूसुफ़-ए-सानी है ये लड़का
कमर की बात सुनते हैं ये कुछ पाई नहीं जाती
दिल का खोज न पाया हरगिज़ देखा खोल जो क़ब्रों को
देखी बहार हम ने कल ज़ोर मय-कदे में
देख मोहन तिरी कमर की तरफ़
ऐ सबा कह बहार की बातें