आसमानों से ज़मीनों पे जवाब आएगा
एक दिन रात ढले यौम-ए-हिसाब आएगा
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एक मेरी जाँ में और इक लहर सहराओं में थी
मौत से ज़ीस्त की तकमील नहीं हो सकती
ख़्वाब-गाह
ख़ेमा-ए-जाँ की तनाबों को उखड़ा जाना था
थकन से चूर बदन धूल में अटा सर था
सर-ए-नियाज़ वो सौदा नज़र नहीं आता
नाव ख़स्ता भी न थी मौज में दरिया भी न था
किरन तो घर के अंदर आ गई थी
हर-चंद जैसा सोचा था वैसा नहीं हुआ
ख़याल रखना
मिरी नुमूद किसी जिस्म की तलाश में है
आसमाँ सूरज सितारे बहर-ओ-बर किस के लिए