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कुछ इस के सिवा ख़्वाहिश-ए-सादा नहीं रखते - नजीब अहमद कविता - Darsaal

कुछ इस के सिवा ख़्वाहिश-ए-सादा नहीं रखते

कुछ इस के सिवा ख़्वाहिश-ए-सादा नहीं रखते

हम तुझ से बिछड़ने का इरादा नहीं रखते

कब दिल की तरफ़ लौट के आएँगे सफ़ीने

सहरा के बगूले ग़म-ए-जादा नहीं रखते

क्या ख़ाक सिमट पाएँगे दुनिया के बखेड़े

हम लोग तो दामन भी कुशादा नहीं रखते

उड़ जाएँगे हम भी वरक़-ए-ख़ाक से इक दिन

रंगों के सिवा कोई लिबादा नहीं रखते

हर आँख को हम साग़र-ओ-मीना नहीं कहते

हर आँख पे हम तोहमत-ए-बादा नहीं रखते

क़ाएम भरम अपना है असीरी से वगर्ना

हम ताक़त-ए-परवाज़ ज़ियादा नहीं रखते

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In Hindi By Famous Poet Najeeb Ahmad. is written by Najeeb Ahmad. Complete Poem in Hindi by Najeeb Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.