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क़ब्र - नैना आदिल कविता - Darsaal

क़ब्र

शहज़ादा लिपटता है मुझ से और दूर कहीं

चिड़िया को साँप निगलता है

साँसों में घुलती हैं साँसें और!

ज़हर उतरता जाता है

लम्हात के नीले क़तरों में

कानों में मिरे रस घोलता है शब्दों का मिलन! और मन भीतर

इक चीख़ सुनाई देती है

जलती पोरों में काँपती है बे-माया लम्स की ख़ामोशी

उस के हाथों से लिखती हूँ मैं इश्क़-बदन की मिट्टी पर

उस की आँखों के गोरिस्ताँ में देखती हूँ इक क़ब्र नई

और शहज़ादे के सीने पर सर रख कर सो जाती हूँ

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In Hindi By Famous Poet Naina Adil. is written by Naina Adil. Complete Poem in Hindi by Naina Adil. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.