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माहताब-ए-वजूद पढ़ते हैं - नाहीद विर्क कविता - Darsaal

माहताब-ए-वजूद पढ़ते हैं

माहताब-ए-वजूद पढ़ते हैं

आ किताब-ए-वजूद पढ़ते हैं

धूप रंगों में ढाल देते हैं

आफ़्ताब-ए-वजूद पढ़ते हैं

तेरी ख़ुशबू को साँस करते हैं

फिर गुलाब-ए-वजूद पढ़ते हैं

इक महक जो बदन जलाती है

उस का बाब-ए-वजूद पढ़ते हैं

कितनी बोझल गुज़रती हैं शामें

तेरा ख़्वाब-ए-वजूद पढ़ते हैं

तेरी हैरानी जान लें पहले

फिर सराब-ए-वजूद पढ़ते हैं

कोई अंदर की बात करते हैं

इज़्तिराब-ए-वजूद पढ़ते हैं

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In Hindi By Famous Poet Naheed Virk. is written by Naheed Virk. Complete Poem in Hindi by Naheed Virk. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.