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ए'तिराफ़ - नईम जर्रार अहमद कविता - Darsaal

ए'तिराफ़

तुम्हें है फ़ख़्र कि तुम हो मिरी शरीक-ए-हयात

मुझे ये दुख है

कि तुम मेरी हम-सफ़र ठहरी

मैं कम-नसीब जो क़िस्मत से अपनी लड़ न सका

तिरे सफ़र को बहुत ताबनाक कर न सका

तुम्हारी ख़्वाहिशों के ख़्वाब-नाक दामन को

नए ज़माने की रंगीनियों से भर न सका

मगर मैं आज भी

ये ए'तिराफ़ करता हूँ

तुम्ही थी मेरी मोहब्बत

तुम्ही हो जान-ए-हयात

मैं ख़ुश-नसीब कि तुम हो मेरी शरीक-ए-हयात

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In Hindi By Famous Poet Naeem Zarrar Ahmad. is written by Naeem Zarrar Ahmad. Complete Poem in Hindi by Naeem Zarrar Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.