Ghazals of Naeem Zarrar Ahmad
नाम | नईम जर्रार अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Naeem Zarrar Ahmad |
जन्म की तारीख | 1965 |
जन्म स्थान | Lahore |
वो मिरे दिल में यूँ समा के गई
वक़्त पर इश्क़-ए-ज़ुलेख़ा का असर लगता है
वक़्त का सिलसिला नहीं रुकता
तेरी आँखों के दो सितारे थे
शुऊर-ए-ज़ात के साँचे में ढलना चाहता हूँ
सामने अपने तू बुला के तो देख
मुझे रिफ़अ'तों का ख़ुमार था सो नहीं रहा
मंज़िल है तो इक रस्ता-ए-दुश्वार में गुम है
मंज़िल है कि इक रस्ता-ए-दुश्वार में गुम है
लोग लड़ते रहे नाम आए तलब-गारों में
किसी महल में न शाहों की आन-बान में है
जो उस आँख से निकला होगा
जफ़ा-ए-अहद का इल्ज़ाम उलट भी सकता हूँ
हो गए हम शिकार फूलों के
हर सच बात में हम दोनों हैं
गिन रहे हैं दिल-ए-नाकाम के दिन
ग़ैर के घर सही वो आया तो
घड़ी जीता घड़ी मरता रहा हूँ
फ़ैसला हो गया है रात गए
चश्म-ओ-दिल साहब-ए-गुफ़्तार हुए जाते हैं
बिखरा है कई बार समेटा है कई बार