नईम जर्रार अहमद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नईम जर्रार अहमद
नाम | नईम जर्रार अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Naeem Zarrar Ahmad |
जन्म की तारीख | 1965 |
जन्म स्थान | Lahore |
ये जानता है पलट कर उसे नहीं आना
या हुस्न है ना-वाक़िफ़-ए-पिंदार-ए-मोहब्बत
मान टूटे तो फिर नहीं जुड़ता
मैं ख़ुद को सामने तेरे बिठा कर
जितनी आँखें थीं सारी मेरी थीं
इश्क़ वो चार सू सफ़र है जहाँ
इश्क़ तू भी ज़रा टिका ले कमर
एक मंज़िल है मुख़्तलिफ़ राहें
वो
सितारे
क़ुसूर
मोहब्बत में ख़ुदा भी मुब्तला है
मोहब्बत जीत सकती थी
माँ
माह-ए-तमाम
ख़्वाहिश
हुस्न मंज़र में नहीं है
ए'तिराफ़
अगर तुम फ़र्ज़ कर लो
आवेज़े
वो मिरे दिल में यूँ समा के गई
वक़्त पर इश्क़-ए-ज़ुलेख़ा का असर लगता है
वक़्त का सिलसिला नहीं रुकता
तेरी आँखों के दो सितारे थे
शुऊर-ए-ज़ात के साँचे में ढलना चाहता हूँ
सामने अपने तू बुला के तो देख
मुझे रिफ़अ'तों का ख़ुमार था सो नहीं रहा
मंज़िल है तो इक रस्ता-ए-दुश्वार में गुम है
मंज़िल है कि इक रस्ता-ए-दुश्वार में गुम है
लोग लड़ते रहे नाम आए तलब-गारों में