Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5a5176a06a6aa751de9e04076ff2f970, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सच तो ये है कि उसे धूप ने गर्माया था - नईम अख़्तर कविता - Darsaal

सच तो ये है कि उसे धूप ने गर्माया था

सच तो ये है कि उसे धूप ने गर्माया था

हाँ वो पौदा जो तिरी छाँव में कुम्हलाया था

रात किस ने मिरी तन्हाई को महकाया था

बू-ए-गुल आई थी या तेरा ख़याल आया था

देखने वाले वो मंज़र नहीं भूले अब तक

मैं कभी आप की आँखों में नज़र आया था

कितने क़िस्सों को दिया जन्म तिरे अश्कों ने

मैं बहुत ख़ुश था कि दामन मिरा काम आया था

कुछ ख़याल आया सराबों में भटकने वाले

किस की आवाज़ ने दरिया पे तुझे लाया था

अब तो बेहतर है यही कुछ भी न याद आए 'नईम'

मौसम-ए-गुल में किसे खोया था क्या पाया था

(887) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Naeem Akhtar. is written by Naeem Akhtar. Complete Poem in Hindi by Naeem Akhtar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.