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दिल मुझे कुफ़्र आश्ना न करे - नादिर लखनवी कविता - Darsaal

दिल मुझे कुफ़्र आश्ना न करे

दिल मुझे कुफ़्र आश्ना न करे

बंदा बुत का हूँ मैं ख़ुदा न करे

काटती है पतंग ग़ैरों की

हम से तक्कल तिरे उड़ा न करे

सुल्ह मंज़ूर है अगर तुम को

आँख अग़्यार से लड़ा न करे

क्यूँ न आँचल दुपट्टे का लटके

हो परी-ज़ाद पर लगा न करे

है वो बुत अब तो महव-ए-यकताई

डर ख़ुदा का न हो तो क्या न करे

पढ़े 'नादिर' जो शेर-ए-तर्ज़-ए-जदीद

सुन के क्यूँ ख़ल्क़ वाह-वा न करे

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In Hindi By Famous Poet Nadir Lakhnavi. is written by Nadir Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Nadir Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.