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शिकायत कर के ग़ुस्सा और उन का तेज़ करना है - नादिर काकोरवी कविता - Darsaal

शिकायत कर के ग़ुस्सा और उन का तेज़ करना है

शिकायत कर के ग़ुस्सा और उन का तेज़ करना है

अभी तो गुफ़्तुगू-ए-मस्लहत-आमेज़ करना है

ये दुनिया जा-ए-आसाइश नहीं है आज़माइश है

यहाँ जो सख़्तियाँ तुझ पर पड़ीं अंगेज़ करना है

ग़ज़ल-ख़्वानी को तू इस बज़्म में आया नहीं 'नादिर'

तुझे याँ वाज़ कहना पंद-ए-सूद-आमेज़ करना है

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In Hindi By Famous Poet Nadir Kakorvi. is written by Nadir Kakorvi. Complete Poem in Hindi by Nadir Kakorvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.