Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ee234c39faa2c8528de3edabda2b73df, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हम जो दीवार पे तस्वीर बनाने लग जाएँ - नादिम नदीम कविता - Darsaal

हम जो दीवार पे तस्वीर बनाने लग जाएँ

हम जो दीवार पे तस्वीर बनाने लग जाएँ

तितलियाँ आ के तिरे रंग चुराने लग जाएँ

फिर न हो मख़मली तकिए की ज़रूरत मुझ को

तेरे बाज़ू जो कभी मेरे सिरहाने लग जाएँ

चाँद तारों में भी तब नूर इज़ाफ़ी हो जाए

छत पे जब ज़िक्र तिरा यार सुनाने लग जाएँ

चंद सिक्कों पे तुम इतराए हुए फिरते हो

हाथ मुफ़्लिस के कहीं जैसे ख़ज़ाने लग जाएँ

क्यूँ न फिर शाख़ शजर फूल सभी मुरझाएँ

भाई जब सहन में दीवार उठाने लग जाएँ

उस ने दो लफ़्ज़ में जो बातें कहीं थी मुझ से

उस को मैं सोचने बैठूँ तो ज़माने लग जाएँ

फिर ज़माने में न हो कोई परेशाँ 'नादिम'

तेरे जैसे भी निकम्मे जो कमाने लग जाएँ

(467) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Nadim Nadeem. is written by Nadim Nadeem. Complete Poem in Hindi by Nadim Nadeem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.