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ग़ौर से मुझ को देखता है क्या - नादिम नदीम कविता - Darsaal

ग़ौर से मुझ को देखता है क्या

ग़ौर से मुझ को देखता है क्या

मेरे चेहरे पे कुछ लिखा है क्या

मेरी आँखों में झाँकता है क्या

तुझ को इन में ही डूबना है क्या

मेरे होंटों को छू लिया उस ने

क्या बताऊँ मुझे हुआ है क्या

ऐ कबूतर ज़रा बता मुझ को

उन की छत पर भी बैठता है क्या

पर कटे पंछियों से पूछते हो

तुम में उड़ने का हौसला है क्या

फ़ासले इश्क़ में ही होते हैं

तुझ को ये भी नहीं पता है क्या

मेरी दुनिया में बस तू ही तू है

अब बता तेरा फ़ैसला है क्या

प्यार से माँग ली है जान उस ने

मेरे हिस्से में अब बचा है क्या

चल कहीं दूर चलते हैं 'नादिम'

घर को जाने में भी रखा है क्या

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In Hindi By Famous Poet Nadim Nadeem. is written by Nadim Nadeem. Complete Poem in Hindi by Nadim Nadeem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.