Ghazals of Nadeem Mahir
नाम | नदीम माहिर |
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अंग्रेज़ी नाम | Nadeem Mahir |
जन्म स्थान | Qatar |
ज़ख़्मों को कुरेदा है तो माज़ी निकल आया
तिरी यादों की नक़्क़ाशी खुरच कर फेंक आए हैं
सूरज और महताब बिखरते जाते हैं
हम बुज़ुर्गों की आन छोड़ आए
गिरते गिरते सँभल रहा हूँ मैं
गर्द-ओ-ग़ुबार यूँ बढ़ा चेहरा बिखर गया
एक ख़ौफ़-ओ-हिरास पानी में
बाम-ओ-दर पर रेंगती परछाइयाँ
आँखों से मनाज़िर का तसलसुल नहीं टूटा