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तुम्हारी महफ़िल से जा रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना - नदीम गुल्लानी कविता - Darsaal

तुम्हारी महफ़िल से जा रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

तुम्हारी महफ़िल से जा रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

ऐ मेरे यारो लो मैं चला हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

मोहब्बतों का मैं रास्ता हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

जो तुम न देखो मैं देखता हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

रह-ए-वफ़ा में फ़ना हुआ पर किसी के आगे झुका नहीं जो

वफ़ाओं का मैं वो क़ाफ़िला हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

मुझे यक़ीं है ये मेरे होते ज़माना सारा त्याग देंगे

मैं अपने यारों का हौसला हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

न मंज़िलों की ख़बर है मुझ को न रास्तों का पता है फिर भी

मैं अपने घर से तो चल पड़ा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

मैं थक के साए में जब हूँ बैठा तो सारे साए लगे हैं चलने

मैं बद-नसीबी की इंतिहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

मुझे ख़ुदा ने बसारतों की हदों से ज़्यादा बसारतें दीं

मैं बंद आँखों से देखता हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

ग़मों में मेरे ख़ुशी छुपी है ख़ुशी में मेरी छुपे हुए ग़म

अजब लड़ाई मैं लड़ रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

मोहब्बतों के सराब झेले रफ़ाक़तों के अज़ाब झेले

किसी की यादों में रो रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

नहीं है जिस का हल अब तो कोई 'नदीम' बस इक सिवा तुम्हारे

मैं एक ऐसा ही मसअला हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

'नदीम' चाहत ये कम न होगी ख़ुदा करेगा कि फिर मिलेंगे

ये जाते जाते मैं कह रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

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In Hindi By Famous Poet Nadeem Gullani. is written by Nadeem Gullani. Complete Poem in Hindi by Nadeem Gullani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.