Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d3c063380d39ed2ed34124215ed27d8a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
यूँ ख़ुश-गुमान रक्खा गया उमर भर मुझे - नदीम फ़ाज़ली कविता - Darsaal

यूँ ख़ुश-गुमान रक्खा गया उमर भर मुझे

यूँ ख़ुश-गुमान रक्खा गया उमर भर मुझे

हर शाम से मली है नवेद-ए-सहर मुझे

मैं था जो हद्द-ए-जिस्म से आगे न बढ़ सका

वह ले गया बदन से मिरे छीन कर मुझे

मैं ज़ाएअ' हो चुका हूँ बहुत खेल खेल में

ऐ वक़्त अब न और लगा दाव पर मुझे

मेरे लिए क़ज़ा है अभी दाइमी हयात

कुछ लोग चाहते हैं अभी टूट कर मुझे

होना है मो'तबर मुझे अपनी निगाह में

कब ए'तिबार बख़्शेगी तेरी नज़र मुझे

मेरी तरह 'नदीम' उसे हिचकियाँ न आएँ

जो सोचता है रात कै पिछले पहर मुझे

(422) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Nadeem Fazli. is written by Nadeem Fazli. Complete Poem in Hindi by Nadeem Fazli. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.