Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_29d8a35b7f2936bb971e0abb31eb0f19, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ग़म-ओ-ख़ुशी के अगर सिलसिले नहीं चलते - नदीम फर्रुख कविता - Darsaal

ग़म-ओ-ख़ुशी के अगर सिलसिले नहीं चलते

ग़म-ओ-ख़ुशी के अगर सिलसिले नहीं चलते

तो मेरे साथ कभी हौसले नहीं चलते

अना के पेड़ पे खिलते नहीं ख़ुलूस के फूल

ज़िदों के साथ कभी फ़ैसले नहीं चलते

बस इक निगाह पे उम्रें निसार होती हैं

मोहब्बतों के कभी सिलसिले नहीं चलते

हमारे क़दमों में रहते हैं रास्ते लेकिन

हमारे साथ कभी मरहले नहीं चलते

हर एक शख़्स यहाँ मीर-ए-कारवाँ ख़ुद है

इसी लिए तो यहाँ क़ाफ़िले नहीं चलते

(1350) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Nadeem Farrukh. is written by Nadeem Farrukh. Complete Poem in Hindi by Nadeem Farrukh. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.