अल्फ़ाज़ बिक रहे थे ख़रीदे नहीं गए
अल्फ़ाज़ बिक रहे थे ख़रीदे नहीं गए
स्कूल हम ग़रीबों के बच्चे नहीं गए
तू ख़ुद ज़रूरतों के अँधेरे में खो गया
तुझ को तलाश करने अँधेरे नहीं गए
सय्याद के क़फ़स में उन्हें भूक ले गई
पंछी ख़ुशी से जाल में फँसने नहीं गए
जुगनू हैं तीरगी में चमकते रहे हैं हम
सूरज की रौशनी में चमकने नहीं गए
हम को समुंदरों का निगहबाँ बना दिया
होंटों से थे जो प्यास के रिश्ते नहीं गए
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