नदीम भाभा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नदीम भाभा
नाम | नदीम भाभा |
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अंग्रेज़ी नाम | Nadeem Bhabha |
जन्म की तारीख | 1992 |
जन्म स्थान | Lahore |
सारे सवाल आसान हैं मुश्किल एक जवाब
मोहब्बत, हिज्र, नफ़रत मिल चुकी है
मोहब्बत ने अकेला कर दिया है
मैं लौ में लौ हूँ, अलाव में हूँ अलाव 'नदीम'
कुछ इस लिए भी अकेला सा हो गया हूँ 'नदीम'
हम ग़ुलामी को मुक़द्दर की तरह जानते हैं
दिल से इक याद भुला दी गई है
दिल मुब्तला-ए-हिज्र रिफ़ाक़त में रह गया
बद-नसीबी कि इश्क़ कर के भी
और कोई पहचान मिरी बनती ही नहीं
वक़्त की तरह तिरे हाथ से निकले हुए हैं
तमाम उम्र जले और रौशनी नहीं की
सुहुलत हो अज़िय्यत हो तुम्हारे साथ रहना है
सफ़र की धूल को चेहरे से साफ़ करता रहा
रूह हाज़िर है मिरे यार कोई मस्ती हो
राब्ता मुझ से मिरा जोड़ दिया करता था
मोहब्बत लाज़मी है मानता हूँ
माँगते माँगते दुआ मिरे साथ
मैं खुजूरों भरे सहराओं में देखा गया हूँ
मैं ऐसे मोड़ पर अपनी कहानी छोड़ आया हूँ
जैसा हूँ जिस हाल में हूँ अच्छा हूँ मैं
हिज्र हूँ पूरा हिज्र हूँ इश्क़ विसाल करे
हर एक साँस पे धड़का कि आख़िरी तो नहीं
हालत-ए-हाल में आदाब नहीं भूलता मैं
एक सुख़न को भूल कर एक कलाम था ज़रूर
दिल से इक याद भुला दी गई है
दिल मुब्तला-ए-हिज्र रिफ़ाक़त में रह गया
देख ऐ शख़्स मुझे यूँ न गिरफ़्तार समझ
बहुत शिद्दत से जो क़ाएम हुआ था
अजीब हूँ कि मोहब्बत शनास हो कर भी