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हर एक ज़ख़्म की शिद्दत को कम किया जाता - नबील अहमद नबील कविता - Darsaal

हर एक ज़ख़्म की शिद्दत को कम किया जाता

हर एक ज़ख़्म की शिद्दत को कम किया जाता

नमक से काम न मरहम का गर लिया जाता

दिलों का बोझ दिलों से उतारने के लिए

ये लाज़मी था गरेबान को सिया जाता

ज़माना पाँव की ठोकर में आ भी सकता था

सरों को अपने उठा कर अगर जिया जाता

कमी न आती तिरे एहतिराम में शाहा

किसी ग़रीब का हक़ जो उसे दिया जाता

हमारी मौत भी होती बक़ा हमारी 'नबील'

कि प्याला ज़हर का हाथों से गर पिया जाता

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In Hindi By Famous Poet Nabeel Ahmad Nabeel. is written by Nabeel Ahmad Nabeel. Complete Poem in Hindi by Nabeel Ahmad Nabeel. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.