बुझती मशअ'ल की इल्तिजा जैसे
बुझती मशअ'ल की इल्तिजा जैसे
लोग हम को मिले हवा जैसे
कोई इंसाँ नज़र नहीं आता
हर बशर हो गया ख़ुदा जैसे
हाथ कश्कोल की तरह पाए
लब मिले हम को इल्तिजा जैसे
कर दिया है ख़ुदा-ए-वाहिद ने
बंद हम पर दर-ए-दुआ जैसे
गर्द-आलूद ऐसे सोचें हैं
कोई एहसास हो ख़फ़ा जैसे
अक्सर औक़ात ऐसे काम किए
हम ने माओं की बद-दुआ' जैसे
ऐसे लगता है उन से अपना 'नबील'
टूट जाएगा राब्ता जैसे
(342) Peoples Rate This