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वो कौन है दुनिया में जो मजबूर नहीं है - नाज़ मुरादाबादी कविता - Darsaal

वो कौन है दुनिया में जो मजबूर नहीं है

वो कौन है दुनिया में जो मजबूर नहीं है

इंसाँ को किसी बात का मक़्दूर नहीं है

हर शय पे तिरे हुस्न का जादू है अज़ल से

क्या चीज़ तिरे हुस्न से मसहूर नहीं है

महकूम बना लेता बशर अर्ज़-ओ-समा को

लेकिन वो करे क्या उसे मक़्दूर नहीं है

दुनिया में उसे ऐश-ओ-मसर्रत न मिलेंगे

वो दिल जो ग़म-ए-इश्क़ से रंजूर नहीं है

माना कि हक़ीक़त को समझना नहीं आसाँ

इंसान हक़ीक़त से मगर दूर नहीं है

है साहब-ए-ईमाँ की कमी अहल-ए-जहाँ में

इक राज़ भी वर्ना तिरा मस्तूर नहीं है

उट्ठो कि ज़माने को गुनाहों से बचाएँ

जो दिन है क़यामत का वो दिन दूर नहीं है

कुछ कीजिए आ'माल सँवर जाएँ जहाँ में

कुछ सोचिए अब वक़्त-ए-क़ज़ा दूर नहीं है

तूफ़ान की हर मौज है इक दर्स-ए-हक़ीक़त

साहिल पे पहुँचना मुझे मंज़ूर नहीं है

एहसास-ए-सदाक़त जो नहीं अहल-ए-तलब में

चेहरों पे भी ईमान का वो नूर नहीं है

माना कि हर इक इशरत-ए-आलम है मयस्सर

इंसान मगर आज भी मसरूर नहीं है

हर क़ौम का एहसास नहीं जिस के अमल में

दर-अस्ल वो जम्हूर भी जम्हूर नहीं है

है 'नाज़' का हर शेर ख़ुद इक शम-ए-फ़रोज़ाँ

ये बात अलग है कि वो मशहूर नहीं है

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In Hindi By Famous Poet Naaz Muradabadi. is written by Naaz Muradabadi. Complete Poem in Hindi by Naaz Muradabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.