Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7c2f195d4f9e15c4a7eb25d5194cf925, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तुम्हारी आँखें शरारती हैं - मुज़फ़्फ़र वारसी कविता - Darsaal

तुम्हारी आँखें शरारती हैं

तुम्हारी आँखें शरारती हैं

तुम अपने पीछे छुपे हुए हो

बग़ौर देखूँ तुम्हें तो मुझ को

शरारतों पर उभारती हैं

तुम्हारी आँखें शरारती हैं

लहू को शोला-ब-दस्त कर दें

ये पत्थरों को भी मस्त कर दें

हयात की सूखती रुतों में

बहार का बंद-ओ-बस्त कर दें

कभी गुलाबी कभी सुनहरी

समुंदरों से ज़ियादा गहरी

तहों में अपनी उतारती हैं

तुम्हारी आँखें शरारती हैं

हया भी है उन में शोख़ियाँ भी

ये राज़ भी अपनी तर्जुमाँ भी

रियासत-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ की हैं

रेआया भी और हुक्मराँ भी

वो खो गया ये मिली हैं जिस को

ये जीतना चाहती है जिस को

उसी से दर-असल हारती हैं

तुम्हारी आँखें शरारती हैं

कशिश का वो दायरा बनाएँ

हवास जिस से निकल न पाएँ

मैं अपने अंदर बिखर सा जाऊँ

समेटने भी न मुझ को आएँ

अजब है अंजान-पन भी उन का

मैं उन का और मेरा फ़न भी उन का

ख़मोश रह कर पुकारती हैं

तुम्हारी आँखें शरारती हैं

(644) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Muzaffar Warsi. is written by Muzaffar Warsi. Complete Poem in Hindi by Muzaffar Warsi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.