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मुज़फ़्फ़र वारसी Ghazal In Hindi - Best मुज़फ़्फ़र वारसी Ghazal Shayari & Poems - Page 1 - Darsaal

Ghazals of Muzaffar Warsi (page 1)

Ghazals of Muzaffar Warsi (page 1)
नाममुज़फ़्फ़र वारसी
अंग्रेज़ी नामMuzaffar Warsi
जन्म की तारीख1933
मौत की तिथि2011
जन्म स्थानPakistan

ज़िंदगी ख़्वाब की तरह देखी

ज़िंदगी खिंच गई मुझ से तिरे अबरू की तरह

ज़िंदगी जिस पर हँसे ऐसी कोई ख़्वाहिश न की

ज़ख़्म-ए-दिल और हरा ख़ून-ए-तमन्ना से हुआ

ये फ़ैसला तो बहुत ग़ैर-मुंसिफ़ाना लगा

वो रोकता है मुझे शहर में निकलने से

तेरी झलक निगाह के हर ज़ाविए में है

सुख़न-वरी हमें कब तजरिबे से आई है

साया कोई मैं अपने ही पैकर से निकालूँ

सफ़र भी दूर का है राह आश्ना भी हैं

रौशनी के रूप में ख़ुश्बू में या रंगों में आ

रात गए यूँ दिल को जाने सर्द हवाएँ आती हैं

फिर चाहे जितनी क़ामत ले कर आ जाना

पत्थर मुझे शर्मिंदा-ए-गुफ़तार न कर दे

निखर सका न बदन चाँदनी में सोने से

नक़्श दिल पर कैसी कैसी सूरतों का रह गया

मुंतज़िर रहना भी क्या चाहत का ख़म्याज़ा नहीं

मेरी सोच मुझे किस रुतबे पर ले आई

माना कि मुश्त-ए-ख़ाक से बढ़ कर नहीं हूँ मैं

मैं हरे मौसमों में जलता रहा

लिया जो उस की निगाहों ने जाएज़ा मेरा

क्या भला मुझ को परखने का नतीजा निकला

कुछ ऐसा उतरा मैं उस संग-दिल के शीशे में

ख़ुद मिरी आँखों से ओझल मेरी हस्ती हो गई

कब निशाँ मेरा किसी को शब-ए-हस्ती में मिला

जी बहलता ही नहीं साँस की झंकारों से

हम क्यूँ ये कहें कोई हमारा नहीं होता

हम करें बात दलीलों से तो रद्द होती है

हाथ आँखों पे रख लेने से ख़तरा नहीं जाता

गहराइयों में ज़ेहन की गिर्दाब सा रहा

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