मुज़फ़्फ़र वारसी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुज़फ़्फ़र वारसी
नाम | मुज़फ़्फ़र वारसी |
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अंग्रेज़ी नाम | Muzaffar Warsi |
जन्म की तारीख | 1933 |
मौत की तिथि | 2011 |
जन्म स्थान | Pakistan |
ज़िंदगी तुझ से हर इक साँस पे समझौता करूँ
ज़ख़्म-ए-तन्हाई में ख़ुशबू-ए-हिना किस की थी
वा'दा मुआवज़े का न करता अगर ख़ुदा
तू चले साथ तो आहट भी न आए अपनी
साँस लेता हूँ के पत-झड़ सी लगी है मुझ में
पहले रग रग से मिरी ख़ून निचोड़ा उस ने
मुझे ख़ुद अपनी तलब का नहीं है अंदाज़ा
मैं अपने घर में हूँ घर से गए हुओं की तरह
लिया जो उस की निगाहों ने जाएज़ा मेरा
कुछ न कहने से भी छिन जाता है एजाज़-ए-सुख़न
ख़ुद मिरी आँखों से ओझल मेरी हस्ती हो गई
जभी तो उम्र से अपनी ज़ियादा लगता हूँ
हर शख़्स पर किया न करो इतना ए'तिमाद
डुबोने वालों को शर्मिंदा कर चुका हूँगा
तुम्हारी आँखें शरारती हैं
कर्बला
बाज़ार
ज़िंदगी ख़्वाब की तरह देखी
ज़िंदगी खिंच गई मुझ से तिरे अबरू की तरह
ज़िंदगी जिस पर हँसे ऐसी कोई ख़्वाहिश न की
ज़ख़्म-ए-दिल और हरा ख़ून-ए-तमन्ना से हुआ
ये फ़ैसला तो बहुत ग़ैर-मुंसिफ़ाना लगा
वो रोकता है मुझे शहर में निकलने से
तेरी झलक निगाह के हर ज़ाविए में है
सुख़न-वरी हमें कब तजरिबे से आई है
साया कोई मैं अपने ही पैकर से निकालूँ
सफ़र भी दूर का है राह आश्ना भी हैं
रौशनी के रूप में ख़ुश्बू में या रंगों में आ
रात गए यूँ दिल को जाने सर्द हवाएँ आती हैं
फिर चाहे जितनी क़ामत ले कर आ जाना