मुज़फ़्फ़र मुम्ताज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुज़फ़्फ़र मुम्ताज़
नाम | मुज़फ़्फ़र मुम्ताज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Muzaffar Mumtaz |
सुकूँ अगर है तो बस लुत्फ़ इंतिज़ार में है
रात के पर्दे में इक नूर का सैलाब भी है
मुझी में डूब गया दुश्मनी निभाते हुए
किस ख़्वाब का असर है जो अब तक नज़र में है
ख़ुद से उकताए हुए अपना बुरा चाहते हैं
हक़ीक़तों से मगर मुन्हरिफ़ रहा न गया