Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ff12b9dcdc3e2da6e9c81de7ae9a8d47, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बीते लम्हों को ढूँढता हूँ मैं - मुज़फ्फ़र बुख़ारी कविता - Darsaal

बीते लम्हों को ढूँढता हूँ मैं

बीते लम्हों को ढूँढता हूँ मैं

तितलियों को पकड़ रहा हूँ मैं

जाने वाले मुझे भी ले चल साथ

क़ैद-ए-हस्ती में मुब्तला हूँ मैं

इक तरफ़ सोच इक तरफ़ एहसास

दो गिरोहों में बट गया हूँ मैं

जब्र आग़ाज़ जब्र ही अंजाम

तुझ से ख़ालिक़ मिरे ख़फ़ा हूँ मैं

जब से तेरे क़रीब आया हूँ

ख़ुद से भी दूर हो गया हूँ मैं

तू मिरी मौत को हराम न कह

तेरी ख़ातिर तो मर रहा हूँ मैं

संग-ए-रह बन के रोक लूँगा तुझे

तेरी आदत समझ गया हूँ मैं

(384) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Muzaffar Bukhari. is written by Muzaffar Bukhari. Complete Poem in Hindi by Muzaffar Bukhari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.