बहुत नहीफ़ है तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ बदल डालो
बहुत नहीफ़ है तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ बदल डालो
निज़ाम-ए-दहर को नग़्मा-गिराँ बदल डालो
दिल-गिरफ़्ता तनव्वो है ज़िंदगी का उसूल
मकाँ का ज़िक्र तो क्या ला-मकाँ बदल डालो
न कोई चीज़ दवामी न कोई शय महफ़ूज़
यक़ीं सँभाल के रक्खो गुमाँ बदल डालो
नया बनाया है दस्तूर-ए-आशिक़ी हम ने
जो तुम भी क़ाएदा-ए-दिल-बराँ बदल डालो
अगर ये तख़्ता-ए-गुल ज़हर है नज़र के लिए
तो फिर मुलाज़मत-ए-गुलिस्ताँ बदल डालो
जो एक पल के लिए ख़ुद बदल नहीं सकते
ये कह रहे हैं कि सारा जहाँ बदल डालो
तुम्हारा क्या है मुसीबत है लिखने वालों की
जो दे चुके हो वो सारे बयाँ बदल डालो
मुझे बताया है 'सय्यद' ने नुस्ख़ा-ए-आसाँ
जो तंग हो तो ज़मीं आसमाँ बदल डालो
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