Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8f80c1139bc1101c351bc58836cd91b4, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कोई महरूम-ए-मोहब्बत न रहा मेरे बा'द - मुज़फ्फ़र अहमद मुज़फ्फ़र कविता - Darsaal

कोई महरूम-ए-मोहब्बत न रहा मेरे बा'द

कोई महरूम-ए-मोहब्बत न रहा मेरे बा'द

रंग लाई मिरी तासीर-ए-दुआ मेरे बा'द

आज ईसा की तरह दार पे खींचे है मुझे

मुझ पे रोएगी ये मख़्लूक़-ए-ख़ुदा मेरे बा'द

मेरे मिटने से हुए गोया क़फ़स से आज़ाद

न रहा कोई गिरफ़्तार-ए-बला मेरे बा'द

ऐसी रूठी है मशिय्यत से तिरी रब्ब-ए-करीम

फिर चमन में न गई बाद-ए-सबा मेरे बा'द

फ़ातिहा के लिए आया था वो हमराह रक़ीब

ख़ूब दी उस ने मोहब्बत की सज़ा मेरे बा'द

सुब्ह-दम आती है इस सोख़्ता-सामानी में

बाग़ से नाला-ए-बुलबुल की सदा मेरे बा'द

मेरी जानिब से कोई जा के कहे मजनूँ से

ख़ाक-ए-सहरा-ए-तमन्ना न उड़ा मेरे बा'द

उस ने अहबाब से पूछा है मिरे घर का पता

याद आया उसे पैमान-ए-वफ़ा मेरे बा'द

वो जो लिक्खा था कभी ख़ून-ए-जिगर से मैं ने

मिटता जाता है वही नक़्श-ए-वफ़ा मेरे बा'द

तुझ पे इल्ज़ाम-ए-मोहब्बत न लगा दे दुनिया

आ के तुर्बत पे यूँ आँसू न बहा मेरे बा'द

रंज तो ये है 'मुज़फ़्फ़र' कि वो पैमान-शिकन

लब पे लाया न कभी हर्फ़-ए-दुआ मेरे बा'द

(401) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Muzaffar Ahmad Muzaffar. is written by Muzaffar Ahmad Muzaffar. Complete Poem in Hindi by Muzaffar Ahmad Muzaffar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.