मुज़फ़्फ़र अबदाली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुज़फ़्फ़र अबदाली
नाम | मुज़फ़्फ़र अबदाली |
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अंग्रेज़ी नाम | Muzaffar Abdali |
जन्म स्थान | Delhi |
रेत पर इक निशान है शायद
रह-गुज़र का है तक़ाज़ा कि अभी और चलो
ख़ुदा भी कैसा हुआ ख़ुश मिरे क़रीने पर
कश्तियाँ लिखती रहें रोज़ कहानी अपनी
बहकना मेरी फ़ितरत में नहीं पर
सदाक़त
निर्भया की मौत पर
किसे गुमाँ था
आठवाँ दरवाज़ा
यक़ीन आज भी वहम-ओ-गुमान में गुम है
रीत पर इक निशान है शायद
रेत के शानों पे शबनम की नमी रात गए
रौनक़-ए-अर्ज़-ओ-समा शम्स ओ क़मर मैं ही हूँ
मैं जो बद-हवास था महव-ए-कयास तुम भी थे
किस ने देखी है बहारों में ख़िज़ाँ मेरे सिवा
ख़्वाब उम्मीद से सरशार भी हो जाए तो क्या
ख़ुदा भी कैसा हुआ ख़ुश मिरे क़रीने पर
ख़मोशी की गिरह खोले सर-ए-आवाज़ तक आए
ख़ल्वत-ए-जाँ से चली बात ज़बाँ तक पहुँची
बयाबाँ को पशेमानी बहुत है