मुस्तहसिन ख़्याल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुस्तहसिन ख़्याल
नाम | मुस्तहसिन ख़्याल |
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अंग्रेज़ी नाम | Mustahsin Khayal |
ये माहताब ये सूरज किधर से आए हैं
शब-ए-फ़िराक़ के दम तोड़े हुए लम्हो
जब कि मानूस था आलाम के गिर्दाब से भी
इस ख़िज़ाँ की रुत में अपना साथ अच्छा रह गया
फ़रेब-ए-हिज्र में लम्हे सभी विसाल के हैं
अब ये खुला कि इश्क़ का पिंदार कुछ नहीं