रंग-ओ-सिफ़ात-ए-यार में दिल ढल नहीं रहा

रंग-ओ-सिफ़ात-ए-यार में दिल ढल नहीं रहा

शो'लों की ज़द में फूल है और जल नहीं रहा

वो धूप है कि पेड़ भी जलने पे आ गया

वो भूक है कि शाख़ पे अब फल नहीं रहा

ले आओ मेरी आँख की लौ के क़रीब उसे

तुम से बुझा चराग़ अगर जल नहीं रहा

हम लोग अब ज़मान-ओ-ज़माना से दूर हैं

या'नी यहाँ पे वक़्त भी अब चल नहीं रहा

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In Hindi By Famous Poet Mustahsan Jami. is written by Mustahsan Jami. Complete Poem in Hindi by Mustahsan Jami. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.