Ghazals of Mustahsan Jami
नाम | मुस्तहसन जामी |
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अंग्रेज़ी नाम | Mustahsan Jami |
रूखी-सूखी खा सकते थे
रंग-ओ-सिफ़ात-ए-यार में दिल ढल नहीं रहा
रंगों की पहचान नहीं कर सकता था
खेत ऐसे सैराब नहीं होते भाई
दरियाओं को हाल सुना कर रक़्स किया
अब सोच रहे हैं यहाँ क्या क्या नहीं देखा