यूँ तो वो हर किसी से मिलती है
यूँ तो वो हर किसी से मिलती है
हम से अपनी ख़ुशी से मिलती है
सेज महकी बदन से शर्मा कर
ये अदा भी उसी से मिलती है
वो अभी फूल से नहीं मिलती
जूहिए की कली से मिलती है
दिन को ये रख-रखाव वाली शक्ल
शब को दीवानगी से मिलती है
आज-कल आप की ख़बर हम को!
ग़ैर की दोस्ती से मिलती है
शैख़-साहिब को रोज़ की रोटी
रात भर की बदी से मिलती है
आगे आगे जुनून भी होगा!
शेर में लौ अभी से मिलती है
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