मेरे पास बहुत सी बातें हैं
मेरे पास
बहुत सी बातें हैं
जो मैं ने ज़िंदगी से कशीद कीं
चाहे अच्छी हो या बुरी
बात सुनाने के लिए होती है
और मैं ने ऐसा नहीं किया
बात
ज़िंदगी की अमानत है
जिसे लौटाना पड़ता है
मैं बातों को पट्टे बाँध कर
जम्अ' करता रहा
बातों का बाड़ा
वसीअ' होता चला गया
और मेरा सुरूर भी
एक रोज़
एक बात मुझ पर भौंकती है
मेरा ख़ुमार टूटता है
मैं
चौंक कर देखता हूँ
एक के बा'द दूसरी
और दूसरी के बा'द तीसरी
वो सब
मुझ पर भौंकने लगती हैं
मैं
उन्हें चुमकारता हूँ
मगर बे-सूद
शोर से मेरा दिमाग़ भर जाता है
मुझे
कुछ भी नहीं सूझता
और मैं भी
भौंकना शुरूअ' कर देता हूँ
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