हालत-ए-जंग में मज़दूरी
वो आए
उन्हों ने कहा
मिट्टी खोदो
हम ने
संगी ज़मीन में
मतलूब गढ़ा बना कर दिया
उस के अंदर जाओ
वो दुरुश्त लहजे में बोले
हम
गहरे गढ़े में उतर गए
उन्हों ने
मिट्टी डाल कर
ज़मीन हमवार कर ली
हमें मौत भी
उजरत के तौर पर मिली है
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