Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_b3259d1bedd9031b37d779437a673914, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हुई जो शाम रास्ते घरों की सम्त चल पड़े - मुस्लिम सलीम कविता - Darsaal

हुई जो शाम रास्ते घरों की सम्त चल पड़े

हुई जो शाम रास्ते घरों की सम्त चल पड़े

हमें मगर ये क्या हुआ ये हम किधर निकल पड़े

किसी की आरज़ुओं की वो सर्द लाश ही सही

किसी तरह तो जिस्म की हरारतों को कल पड़े

उसी की ग़फ़लतों पे मेरी अज़्मतें हैं मुनहसिर

ख़ुदा-न-ख़ास्ता कि उस की नींद में ख़लल पड़े

सफ़र तवील था मगर घटा उठी उम्मीद की

कड़ी थी धूप देखें किस पे साया-ए-अजल पड़े

(429) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Muslim Saleem. is written by Muslim Saleem. Complete Poem in Hindi by Muslim Saleem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.