किसे बताएँ मोहब्बत में क्या किया मैं ने
किसे बताएँ मोहब्बत में क्या किया मैं ने
बना के अपना नशेमन जला दिया मैं ने
ग़ुरूर-ए-इश्क़ ख़ुदी और आबरू-ए-वफ़ा
इन्हें गँवा के बहुत कुछ बचा लिया मैं ने
ज़माना इस को कहे मय-कशी कि मय-ख़्वारी
तमाम उम्र ख़ुद अपना लहू पिया मैं ने
बुझा गई थी कभी जिस को बे-रुख़ी तेरी
उसी चराग़ को फिर से जिला लिया नय
कल उस को देख के दिल कितना बे-क़रार हुआ
समझ रहा था कि उस को भुला दिया मैं ने
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