ग़मों ने इस तरह घेरा कभी नहीं होगा
ग़मों ने इस तरह घेरा कभी नहीं होगा
ये लग रहा था सवेरा कभी नहीं होगा
उन्हें का ज़िक्र है दिन रात उन की बातें हैं
तुम्हारा दिल है ये मेरा कभी नहीं होगा
तमाम दौलत-ए-कौन-ओ-मकाँ मिले तो क्या
तो जिस का हो गया, तेरा कभी नहीं होगा
हमारी सन लो हमें देख लो कि फिर शायद
इधर फ़क़ीर का फेरा कभी नहीं होगा
दिया है अपना लहू इस क़दर चराग़ों को
हमारे बअ'द अंधेरा कभी नहीं होगा
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