दिलों का हाल वो बे-ए'तिबार क्या जाने
दिलों का हाल वो बे-ए'तिबार क्या जाने
जिसे न प्यार मिला हो वो प्यार क्या जाने
अदा से आई चमन में अदा से लौट गई
गुलों पे बीत गई क्या बहार क्या जाने
न कोई ख़्वाब है आँखों में और न बे-ख़्वाबी
कहाँ रुकी है शब-ए-इंतिज़ार किया जाने
उसे भुलाए हुए मुद्दतें हुईं लेकिन
ये कौन छूता है दिल बार बार किया जाने
फिर एक बार चलो उस गली में हो आएँ
वो मिल ही जाए सर-ए-रहगुज़ार क्या जाने
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