Ghazals of Mushtaq Aazar Fareedi
नाम | मुश्ताक़ आज़र फ़रीदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Mushtaq Aazar Fareedi |
तिरे जहाँ से अलग इक जहान चाहता हूँ
तिरे जहाँ से अलग इक जहान चाहता हूँ
शाहकार-ए-हुस्न-ए-फ़ितरत साज़िशों में बट गया
शाहकार हुस्न-ए-फ़ितरत साज़िशों में बट गया
मैं सोज़िश-ए-ग़म-ए-दौराँ से यूँ जला ख़ामोश
मैं सोज़िश-ए-ग़म-ए-दौराँ से यूँ जला ख़ामोश
लोग बैठे हैं यहाँ होंटों में ख़ंजर ले कर
लोग बैठे हैं यहाँ हाथों में ख़ंजर ले कर
फ़ासला जब मुझे एहसास-ए-थकन बख़्शेगा
फ़ासला जब मुझे एहसास-ए-थकन बख़्शेगा
दीवाना हूँ बिखरे मोती चुनता हूँ
दीवाना हूँ बिखरे मोती चुनता हूँ
अपनी सोचें शिकस्त-ओ-ख़ाम न कर
अपनी सोचें शिकस्त-ओ-ख़ाम न कर
अपने ही भाई को हम-साया बनाते क्यूँ हो
अपने ही भाई को हम-साया बनाते क्यूँ हो