Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_70be11c3f5abb7ec2902023996ea6ea9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सितम में भी शान-ए-करम देखते हैं - मुशीर झंझान्वी कविता - Darsaal

सितम में भी शान-ए-करम देखते हैं

सितम में भी शान-ए-करम देखते हैं

हमें जानते हैं जो हम देखते हैं

जहाँ तक तअल्लुक़ है ऐब ओ ख़ता का

जो अहल-ए-नज़र हैं वो कम देखते हैं

तिरा इंतिज़ार इस क़दर बढ़ गया है

कि हर आने वाले को हम देखते हैं

नज़र सू-ए-काबा है दिल बुत-कदे में

हम अंदाज़-ए-अहल-ए-हरम देखते हैं

निगाहें यूँही मिल गईं बे-इरादा

न वो देखते हैं न हम देखते हैं

ये दुनिया तो क्या है सर-ए-अर्श-ए-आज़म

हम अपना ही नक़्श-ए-क़दम देखते हैं

किसे अपना हाल-ए-परेशाँ सुनाएँ

परेशाँ ज़माने को हम देखते हैं

मिरी मंज़िलत कुछ इसी से समझिए

मिरी राह दैर ओ हरम देखते हैं

तिरी जुस्तुजू में हम अहल-ए-तमन्ना

ख़ुशी देखते हैं न ग़म देखते हैं

'मुशीर' अहल-ए-बीनश मिरी हर ग़ज़ल में

दिमाग़ और दिल को बहम देखते हैं

(624) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Mushir Jhanjhanvi. is written by Mushir Jhanjhanvi. Complete Poem in Hindi by Mushir Jhanjhanvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.