ज़ख़्म-ए-शमशीर-ए-निगह हैफ़ कि अच्छा न हुआ
करने को उस की दवा डॉक्टर अंग्रेज़ आया
Parveen Shakir
Wasi Shah
Allama Iqbal
Habib Jalib
Rahat Indori
Gulzar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(362) Peoples Rate This
आस्तीं उस ने जो कुहनी तक चढ़ाई वक़्त-ए-सुब्ह
आता है यही जी में फ़रियाद करूँ रोऊँ
हम न शाना न सबा हैं नहीं खुलता है ये भेद
तू जिस के ख़्वाब में आया हो वक़्त-ए-सुब्ह सनम
कब लग सके जफ़ा को उस की वफ़ा-ए-आलम
छेड़ मत हर दम न आईना दिखा
गर हो तमंचा-बंद वो रश्क-ए-फ़िरंगियाँ
गर जोश पे टुक आया दरियाव तबीअत का
चखी न जिस ने कभी लज़्ज़त-ए-सिनान-ए-निगाह
कुछ तो मिलता है मज़ा सा शब-ए-तन्हाई में
कुश्ता-ए-रंग-ए-हिना हूँ मैं ओजब इस का क्या
शब में देखी हैं पड़ी पाँव में ज़ंजीरें दो