मैं किस क़तार में हूँ जहाँ मुझ से सैकड़ों
मर मर गए अज़िय्यत-ए-ज़ंजीर खींच कर
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Parveen Shakir
Anwar Masood
Wasi Shah
Allama Iqbal
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जाँ-बर हो किस तरह तप-ए-सौदा से 'मुसहफ़ी'
सुख़न में कामरानी कर रहा हूँ
मुवाफ़क़त हो जो ताले की उस की मज्लिस में
ख़्वाहिश-ए-वस्ल का मज़मूँ जो किसी सत्र में था
कूचा-ए-ज़ुल्फ़ में फिरता हूँ भटकता कब का
कहूँ तो किस से कहूँ अपना दर्द-ए-दिल मैं ग़रीब
मैं ने कहा था उस से अहवाल-ए-गिरिया अपना
जी जिस को चाहता था उसी से मिला दिया
सोच दिन रात यही है तिरे दीवाने की
'मुसहफ़ी' मैं हूँ अब और जामा-ए-उर्यानी है
सहराइयान-ए-पूरब क्या जानते हैं इस को
चले ले के सर पर गुनाहों की गठरी