जमुना में कल नहा कर जब उस ने बाल बाँधे
हम ने भी अपने दिल में क्या क्या ख़याल बाँधे
Habib Jalib
Parveen Shakir
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Rahat Indori
Jaun Eliya
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(317) Peoples Rate This
इक हर्फ़-ए-कुन में जिस ने कौन-ओ-मकाँ बनाया
बातें कई ज़बानी मैं ने कही हैं उस से
उन को भी तिरे इश्क़ ने बे-पर्दा फिराया
या-रब आबाद होवें घर सब के
बाग़ था उस में आशियाँ भी था
दामन-कशाँ वो जाए था सैर-ए-चमन को और
ए'तिबारात हैं ये हस्ती-ए-मौहूमी के
हरगिज़ न मुझ से साफ़ हुआ यार या नसीब
इक बिजली की कौंद हम ने देखी
वो चहचहे न वो तिरी आहंग अंदलीब
आता है यही जी में फ़रियाद करूँ रोऊँ
साया-ए-दीवार जो रोज़-ए-क़यामत में न था