हम सनम दम तिरे इश्क़ का भर गए
जल गए भुन गए कट गए मर गए
Wasi Shah
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Anwar Masood
Jaun Eliya
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मैं क्यूँकर न रख्खूँ अज़ीज़ अपने दिल को
सिधारी क़ुव्वत-ए-दिल ताब और ताक़त से कह दीजो
क्या खींचे है ख़ुद को दूर अल्लाह
सौ बार तुम तो सामने आ कर चले गए
काँटा हुआ हूँ सूख के याँ तक कि अब सुनार
निस्बत फिर उस से क्या मह-ए-दाग़ी को दीजिए
चाक करता है अभी जामा-ए-उर्यानी को
मत गोर-ए-ग़रीबाँ पर घोड़े को कुदाओ यूँ
राँझा यही कहता था इधर देखियो मजनूँ
ख़्वारियाँ बदनामियाँ रुस्वाइयाँ
है तिरी कू में ख़बर हश्र के हंगामे की
बनाया एक काफ़िर के तईं उस दम मैं दो काफ़िर