तुम्हारी और मिरी कज-अदाइयाँ ही रहीं
तुम्हारी और मिरी कज-अदाइयाँ ही रहीं
रहे जो पास तो बाहम लड़ाइयाँ ही रहीं
ज़ि-बस-कि करते रहे बे-कसों पे तुम बेदाद
सदा गली में तुम्हारी दोहाइयाँ ही रहीं
हुई न साज़ मिरी उस की सोहबत इक शब हाए
इधर से इज्ज़ उधर से रुखाइयाँ ही रहीं
दरेग़ यार से बिछड़े तो ऐसे हम बिछड़े
कि ता-बा-रोज़-ए-क़यामत जुदाइयाँ ही रहीं
अब उस के मिलने का क्या लुत्फ़ 'मुसहफ़ी' बाहम
न वो सुलूक न वो आश्नाइयाँ ही रहीं
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