पहलू में रह गया यूँ ये दिल तड़प तड़प कर
पहलू में रह गया यूँ ये दिल तड़प तड़प कर
रह जाए जैसे कोई बिस्मिल तड़प तड़प कर
मजनून-ए-बे-ख़िरद ने दी जाँ ब-ना-उमीदी
लैला का देखते ही महमिल तड़प तड़प कर
कहियो सबा जो जावे मज़बूह-ए-ग़म ने तेरे
आसान की शब अपनी मुश्किल तड़प तड़प कर
उस पर्दगी ने अपना आँचल नहीं दिखाया
मर मर गए हैं उस के माइल तड़प तड़प कर
क़ातिल का मेरे कूचा है ख़्वाब-गाह-ए-राहत
क्या क्या न सो रहे याँ घायल तड़प तड़प कर
हाल उस ग़रीक़ का है जा-ए-तरह्हुम ऐ दिल
रह जाए है जो ज़ेर-ए-साहिल तड़प तड़प कर
क़ाबू में आए पर मैं छोड़ा न उस को हरगिज़
बल खा के गरचे निकला क़ातिल तड़प तड़प कर
तू ने तो आबरू ही खो दी हमारी ऐ दिल
मक़्तल में आशिक़ों के शामिल तड़प तड़प कर
झुमके दिखा के उस को तू ने जो मुँह दिखाया
मर ही गया न तेरा साइल तड़प तड़प कर
गो मुर्ग़-ए-नामा-बर को बिस्मिल किया है उस ने
तय कर रहेगा आख़िर मंज़िल तड़प तड़प कर
फ़ुर्क़त में उस की तू ने ऐ 'मुसहफ़ी' बता तू
जुज़-अश्क-ए-ख़ूँ किया क्या हासिल तड़प तड़प कर
मुझ को ये सूझता है नाहक़ तू जान देगा
इक दिन इसी तरह से जाहिल तड़प तड़प कर
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